रेकी की मदद से हम अपने नेगटिव कर्मा को रिमूव कर सकते है आईये जानते है कैसे –
आप सभी लोगों को ये मालूम है कि रेकी कर्म के ऊपर काम करती है। हमारे नेगेटिव कर्म, पॉजिटिव कर्म होते है। वो दोनों कर्मा हमारे संस्कार रूपी अकाउंट में डिपाजिट होते रहते है और वही हमारी बन नियति बन जाती है यानी वही हमारा फ्यूचर बन जाता है। भविष्य में प्राप्त होने वाले फल हमारे किसी ने किसी कर्म के परिणाम स्वरुप होते है। वो फल आपके भूतकाल में किये गए कर्म का परिणाम है अथार्त आज से पहले आप को जो फल प्राप्त हुए है वो आपके फल का परिणाम है। मतलब अगर आप ने आम का बीज बोया था तो आज आपको आम का फल खाने को मिल रहा है, अगर आपने अमरुद का बीज बोया था तो अमरुद का फल खाने को मिल रहा है। कर्म का बहुत गहरा रहस्य है हमारे जीवन में बहुत बार हमारे मन में एक सवाल उठता है।
लोगो के प्रश्न आते है हमारे पास और वो पूछते है सर कि हमने आम का पौधा तो लगाया नहीं था न ही बीज बोया था लेकिन हमे बाजार से बहुत ढेर सारा आम खरीद कर खाने को मिलता है, भरपेट जितना चाहे हम खा लेते है लेकिन हमने वो बीज नहीं बोया था, हमने वो फसल नहीं बोई थी। आम का पौधा नहीं लगाया था न ही हमने उसमे कोई देखभाल की थी, न ही गुड़ाई की थी, न ही कीड़े-मकोड़े से बचाया था, न ही उसमे खाद – पानी डाला था कुछ भी नहीं किया था फिर था फिर भी हमे मार्किट में ढेर सारा आम का फल मिल जाता है खरीद कर और हम खाते भी है।
जब ये कहा जाता है कि आपने आम का बीज बोया था तभी आज आपको आम का फल मिल रहा है। लेकिन हमने तो बोया नहीं था फिर क्यों मिल रहा है ? बिलकुल सही सवाल है इसकी गहराई में उतरते है हम लोग और समझते है इस सवाल को जानते है, इस गहरे ज्ञान को समझते है कि हम आज से पहले जहाँ कभी भी थे जिस रूप में थे तो जरुरी नहीं है कि आज जिस जगह पर है, जिस घर में है, जिस शहर में है, जिस गांव में है, जिस पोस्ट पर है, जो भी बिजनेस कर रहे है वही चीज़ बचपन में कर रहे थे। दरअसल हम आत्माये है और आत्माओं के अनलिमिटेड जन्म होते रहते है। युगों – युगों से हम जन्म लेते आये है और शरीर धारण करते आये है उसके बाद हमारे द्वारा अनलिमिटेड कर्म हुए है।
उन्ही कर्म के फल हमे प्राप्त होते है आज। अगर कोई आज अपंग है, अपाहिज है, विकलांग है, शरीर का अंग भंग है तो उसने इस जन्म में या किसी जन्म में ऐसा कर्म किया था जिसकी वजह से आज उसे अंग भंग का शरीर मिला है उसी तरह से किसी न किसी जन्म में हमने बहुत आम के बीज बोये थे और उसकी फसल आज हमे मिल रही है अथार्त हम चलते है उन लोगो के पास जो लोग बूढ़े हो चले है अथार्त ७० से ८० साल, १० साल , सौ साल के हो गए है उम्र अगर सौ साल की है यानी कि हम सौ साल में शरीर का त्याग कर देंगे तो इसका मतलब यह है की हमने १० साल की उम्र में या १५ साल की उम्र में या १८ साल की उम्र में आम का बीज बोया तो उस बीज का पौधा बड़ा होते – होते बड़ा होगा और फल देने से पहले शरीर त्याग दिया। उस व्यक्ति को उस आम का फल खाने को नहीं मिला। जिस व्यक्ति ने आम का बीज बोया था। अब वो आम का बीज तो बो गया फल आने लगा। पौधे में वो पौधा बड़ा हो गया।
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